
“मेरे पास 40 एकड़ है” – किसानों के दर्द पर VIP ताजगी का छिड़काव?
कर्नाटक के बाढ़ प्रभावित कलबुर्गी इलाके में जब एक किसान अपनी बर्बाद मटर की फ़सल की शिकायत लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पास पहुंचा, तो उम्मीद थी कि वे सहानुभूति के कुछ शब्द देंगे। लेकिन खड़गे साहब ने जो कहा, उससे किसान का दुख कुछ यूं बढ़ा जैसे पेट्रोल की क़ीमतों में अचानक वृद्धि हो जाए।
“तुम्हारी 4 एकड़? अरे भाई, मेरे पास तो 40 एकड़ है!”
वाह साहब! किसान की बात सुनकर आपने अगर खेती में कंपटीशन शुरू कर दिया, तो फिर तो बाढ़ नहीं, चुनावी तूफान आना तय है।
किसान की फ़सल गई, और उम्मीदें भी
वीडियो में साफ़ सुनाई देता है कि किसान कहता है कि उसके पास “चार एकड़ ज़मीन” है। खड़गे साहब तुरंत अपना ‘ACE CARD’ खेलते हैं:
“मेरे पास तो 40 एकड़ है।”
इस पर बीजेपी ने तीर छोड़ा – और इस बार मटर की जगह मुद्दा था “घमंड की फ़सल”। रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुटकी लेते हुए पूछा – “तो खड़गे जी, अब आप भी बड़े ज़मींदार हो गए हैं?”
राजनीति में अब ‘कृषि कार्ड’ भी VIP vs आम आदमी?
राजनीति का स्तर अब उस पड़ाव पर है जहां दुख साझा करने के बजाय “मेरे पास ज्यादा दुख है” की प्रतियोगिता चल रही है। सोचिए, अगर किसान कहे – “मेरे मटर डूब गए”, और नेता बोले – “मेरे खेत ज़्यादा बड़े हैं, मैं ज़्यादा दुखी हूं”… तो फिर जनता कहेगी – “भाई साहब, हम तो भूखे हैं, आपके इमोशनल प्रॉपर्टी पे टैक्स कैसे भरें?”

वायरल वीडियो ने मचाया सियासी तूफान
जैसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर आया, “मुझे भी 40 एकड़ चाहिए” मीम्स की बाढ़ आ गई। कुछ यूज़र्स ने तो ये तक पूछ लिया – “सर, अगर 40 एकड़ है तो PM किसान योजना में कैसे फिट होंगे?”
खड़गे की चुप्पी, बीजेपी की चटनी
अब तक मल्लिकार्जुन खड़गे की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है – या शायद वे अपनी बाकी एकड़ गिन रहे हों। वहीं, बीजेपी ने पूरा मसाला तैयार कर रखा है – किसान से ‘भावनात्मक दुर्व्यवहार’ का आरोप, संपत्ति का खुलासा और नैतिकता पर भारी भरकम भाषण।
राजनीति में अब जमीन नहीं, बयान भारी है
इस पूरे मामले ने बता दिया कि राजनीति में आजकल ज़मीन की बात कम, “जुबान कितनी उन्नत है” – ये ज़्यादा देखा जा रहा है।
किसानों के सामने VIP तुलना करना, शायद empathetic leadership के पाठ्यक्रम में नहीं आता।
